दीपावली पूजन

​दीपावली पूजन विधि व् मुहूर्त  :- 
दीपावली  मूहूर्त

शुभ दिवाली तिथि     :    30 अक्तूबर 2016, रविवार

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त      :    सायं 07:00 से 08:34 बजे तक

प्रदोष काल                :    सायं 06:02 से 08:34

वृषभ काल                :    सायं 07:00 से रात्रि 09:00 बजे तक

अमावस्या तिथि प्रारंभ  :    रात्रि 08:40 बजे, 29 अक्तूबर 2016 

अमावस्या तिथि समाप्त :    रात्रि 11:08 बजे, 30 अक्तूबर 2016
पूजन सामग्री: 
महालक्ष्मी पूजन में रोली, , कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, गूगल धुप , दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, मिष्ठान्न, 11 दीपक इत्यादि वस्तुओं को पूजन के समय रखना चाहिए।  
पूजा की विधि
दीप स्थापना:

सबसे पहले पवित्रीकरण करें। आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें: 
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

 

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।

त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥

पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
अब आचमन करें
हाथों को धो लें
ॐ हृषिकेशाय नमः 
आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर 

स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रधान होता है। 
संकल्प:  
आप हाथ में अक्षत लेकर, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। 

 

सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है।
हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। 16 माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए। 16 माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन होता है। रक्षाबंधन विधि में मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए। अब आनंदचित्त से निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए। 
पूजन विधि: 
सर्वप्रथम गणेश और लक्ष्मी का पूजन करें। 
ध्यान

भगवती लक्ष्मी का ध्यान पहले से अपने सम्मुख प्रतिष्ठित श्रीलक्ष्मी की नवीन प्रतिमा में करें।
दीपक पूजन:

दीपक जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। दीपावली के दिन पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करने का विधान है। 
उपरोक्त पूजन के पश्चात घर की महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण इत्यादि सुहाग की संपूर्ण सामग्रियां लेकर मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान इत्यादि के पश्चात विधि-विधान से पूजन के बाद आभूषण एवं सुहाग की सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। 
अब श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। 
पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए श्रीलक्ष्मी से क्षमा-प्रार्थना करें।
न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। 

यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों। 
भगवती श्रीलक्ष्मी को यह सब पूजन समर्पित है…. 
आरती: 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

एक दंत दयावंत चार भुजाधारी ।

माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।

लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।

सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा ।। जय गणेश देवा

जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

 आरती: 

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता 

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता 

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता 

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता 

कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता 

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता 

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता 

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता 

उर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता 

तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
धन धान्य से सभी को भरने वाली माँ लक्ष्मी आपकी सदा ही जय हो।

कैसे तेजी से घटाएं अपना वज़न

कैसे तेजी से घटाएं अपना वज़न
 
Weight बढ़ने का विज्ञान बड़ा सीदा-साधा है. यदि आप खाने-पीने के रूप में जितनी Calories ले रहे हैं उतनी burn नहीं करेंगे तो आपका weight बढ़ना तय है. दरअसल बची हुई Calorie ही हमारे शरीर में fat के रूप में इकठ्ठा हो जाती है और हमारा वज़न बढ़ जाता है.
 
वज़न कम करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले आपको ये जानना चाहिए कि आपका present weight सही है या नहीं
 
18.5 से कम – Underweight
18.5 से 25 – Normal Weight
25 से 29.9 – Overweight
30 से ज्यादा – Obese (अत्यधिक वज़नी)
अब यदि आप Overweight या Obese हैं तो ही आपको अपना वज़न कम करने की ज़रुरत है. और यदि आपको इसकी ज़रुरत है तो आपको ये भी जाना चाहिए कि जिस इस्थिति में आप पहुंचे हैं उसकी वज़ह क्या है. वैसे आम-तौर पर वज़न बढ़ने के दो कारण होते हैं:
 
खान–पान : Weight बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण होता है हमारा खान-पान. यदि हमारे खाने में कैलोरी की मात्र अधिक होगी तो वज़न बढ़ने के chances ज्यादा हो जाते हैं. अधिक तला-भुना , fast-food, देशी घी, cold-drink आदि पीने से शरीर में ज़रुरत से ज्यादा calories इकठ्ठा हो जाती हैं जिसे हम बिना extra effort के burn नहीं कर पाते और नतीजा हमारे बढे हुए वज़न के रूप में दिखाई देता है. यदि आप इस बात की जानकारी रखें कि आपके शरीर को हर दिन कितने कैलोरी की आवश्यकता है और उतना ही consume करें तो आपका weight नहीं बढेगा.
Inactive होना : अगर आपकी दिनचर्या ऐसी है कि आपको ज्यादा हाथ-पाँव नहीं हिलाने पड़ते तो आपका weight बढ़ना लगभग तय है. ख़ास तौर पर जो लोग घर में ही रहते हैं या दिन भर कुर्सी पर बैठ कर ही काम करते हैं उन्हें जान-बूझ कर अपनी daily-life में कुछ physical activity involve करनी चाहिए. जैसे कि आप lift की जगह सीढ़ियों का प्रयोग करें, अपने interest का कोई खेल खेलें , जैसे कि badminton, table-tennis, इत्यादि. यदि आप एक treadmill या एक gym cycle afford कर सकें और उसे नियमित रूप से प्रयोग करें तो काफी लाभदायक होगा. वैसे सबसे सस्ता और सरल उपाय है कि आप रोज़ कुछ देर टहलने की आदत डाल लें.
पर इसके अलावा भी कई कारणों से आपका वज़न बढ़ सकता है .अन्य कारणों को आप यहाँ देख सकते हैं:
 
अब जब आप weight बढ़ने का कारण जान गए हैं तो इसे lose या reduce करना आपकी इच्छाशक्ति और जानकारी पर निर्भर करता है. यहाँ Weight Lose करने की ऐसी ही कुछ TIPS हैं.उम्मीद है ये जानकारी आपके काम आएगी.
 
TIPS TO LOSE WEIGHT IN HINDI
 
सब्र रखें : याद रखिये की आज जो आपका weight है वो कोई दो -दिन या दो महीने की देन नहीं है . ये तो बहुत समय से चली आ रही आपकी life-style का नतीजा है. और यदि आपको weight loss करना है तो निश्चित रूप से आपको सब्र रखना होगा. बेंजामिन फ्रैंकलिन का ये कथन -” जिसके पास धैर्य है वह जो चाहे वो पा सकता है.” हमेशा मुझे प्रेरित करता है. तो आप भी तैयार रहिये कि इस काम में वक़्त लगेगा. हो सकता है शुरू के एक-दो हफ्ते आपको अपने वज़न में कोई अंतर ना नज़र आये पर येही वो वक़्त है जहाँ आपको मजबूत बने रहना है, धैर्य रखना है, हिम्मत रखना है.
अपने efforts में यकीन रखिये : किसी भी और चीज से ज्यादा ज़रूरी है कि आप weight loss के लिए जो efforts कर रहे हैं उसमे आपका यकीन होना. यदि आप एक तरफ daily gym जा रहे हैं और दूसरी तरफ दोस्तों से ये कहते फिर रहे हैं कि जिम-विम जाने का कोई फायदा नहीं है तो आपका subconscious mind भी इसी बात को मानेगा, और सच-मुच आपको अपने एफ्फोर्ट्स का कोई रिजल्ट नहीं मिलेगा. खुद से positive-talk करना बहुत ज़रूरी है. आप खुद से कहिये कि, ” मैं फिट हो रहा हूँ”, ” मुझे results मिल रहे हैं” , आदि.
Visualize करिए : आप जैसा दिखना चाहते हैं वैसे ही खुद के बारे में सोचिये. यकीन जानिये ये आपको weight lose करने में मदद करेगा.आप चाहें तो आप अपने कमरे की दीवार, या कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ वैसी ही फोटो लगा सकते हैं जैसा कि आप दिखना चाहते हैं. रोज़ खुद को वैसा देखना उस चीज को और भी संभव बनाएगा.
नाश्ते के बाद , पानी को अपना main drink बनाएं : नाश्ते के वक़्त orange juice, चाय , दूध इत्यादि ज़रूर लें लेकिन उसके बाद पुरे दिन पानी को ही पीने के लिए इस्तेमाल करें. कोल्ड-ड्रिंक को तो छुए भी नहीं और चाय-कॉफ़ी पर भी पूरा control रखें .इस तरह आप हर रोज़ करीब 200-250 Calories कम consume करेंगे.
Pedometer का प्रयोग करें: ये एक ऐसी device है जो आप के हर कदम को count करता है. इसे अपने बेल्ट में लगा लें और कोशिश करें की हर रोज़ 1000 Steps extra चला जाये. जिनका weight अधिक होता है वो आम तौर पर दिन भर में बस दो से तीन हज़ार कदम ही चलते हैं. यदि आप इसमें 2000 कदम और जोड़ दें तो आपका current weight बना रहेगा और उससे ज्यादा चलने पर वज़न कम होगा.एक standard pedometer की कीमत 1000 से 1500 रुपये तक होती है.
अपने साथ एक छोटी सी diary रखें : आप जो कुछ भी खाएं उसे इसमें लिखें. Research में पाया गया है कि जो लोग ऐसा करते हैं वो औरों से 15% कम calories consume करते हैं.
जानें आप कितनी calories लेते हैं, और उसमे 10% add कर दें: यदि आपको लगता है कि आप हर रोज़ 1800 कैलोरी लेते हैं और फिर भी आपका वज़न control नहीं हो रहा है तो शायद आप अपनी calorie intake का गलत अनुमान लगा रहे हैं. आम तौर पर यदि आप अपने अनुमान में 10% और जोड़ दें तो आपका अनुमान ज्यादा accurate हो जायेगा. For Example: 1800 की जगह 1800 + 180 = 1980 Calorie.
तीन time खाने की बजाये 5-6 बार थोडा-थोडा खाएं: South Africa में हुई एक research में ये पाया गया की यदि व्यक्ति सुबह, दोपहर, शाम खाने की बजाये दिन भर में 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाए तो वो 30% कम कैलोरी consume करता है. और यदि वह उतनी ही कैलोरी ले रहा है जितना की वो तीन बार खाने में लेता है तो भी ऐसा करने से body कम insulin release करती है , जो की आपके blood sugar को सही रखता है और आपको भूख भी कम लगती है.
रोज़ 45 मिनट टहलिए : रोज़ 30 मिनट टहलना आपका weight बढ़ने नहीं देगा लेकिन यदि आप अपना weight घटाना चाहते हैं तो कम से कम 45 मिनट रोज़ टहलना चाहिए. अगर आप रोज़ ऐसा कर लेते हैं तो बिना अपना खान – पान बदले भी आप साल भर में 15Kg वज़न कम कर सकते हैं. और यदि आप ये काम सुबह सुबह ताज़ी हवा में करें तो बात ही कुछ और है. पर इसके लिए आपको डालनी होगी सुबह जल्दी उठने की आदत .
नीले रंग का अधिक प्रयोग करें: नीला रंग भूख को कम करता है. यही वजह है कि अधिकतर restaurants इस रंग का प्रयोग कम करते हैं. तो आप खाने में blue plates use करें , नीले कपडे पहने, और टेबल पर नीला tablecloth डालें.इसके opposite red,yellow, और orange color खाते वक़्त avoid करें, ये भूख बढाते हैं.
अपने पुराने कपड़ों को दान कर दें : एक बार जब आप सही weight पा चुके हैं तो अपने पुराने कपडे, जो अब आपको loose होंगे, उन्हें किसी को दान कर दें. ऐसा करने से दो फायदे होंगे. एक तो आपको कुछ दान कर के ख़ुशी होगी और दूसरा आपके दिमाग में एक बात रहेगी कि यदि आप फिर से मोटे हुए तो वापस इतने कपडे खरीदने होंगे. ये बात आपको अपना weight सही रखने के लिए encourage करेगी.
खाने के लिए छोटी plate का प्रयोग करें: अद्ध्यनो से पता चला है कि चाहे आपको जितनी भी भूख लगी हो; यदि आपके सामने कम खाना होगा तो आप कम खायेंगे, और यदि ज्यादा खाना रखा है तो आप ज्यादा खायेंगे. तो अच्छा होगा कि आप थोड़ी छोटी थाली उसे करें जिसमे कम खाना आये. इसी तरह चाय -कॉफ़ी के लिए भी छोटे cups प्रयोग करें.बार बार खाना लेना आपका calorie intake बढाता है इसलिए आपको जितना खाना है उसी हिसाब से एक ही बार में उतना खाना ले लें.
जहां खाना खाते हों वहाँ सामने एक शीशा लगा लें: एक study में ये पाया गया कि शीशे के सामने बैठ कर खाने वाले लोग कम खाते हैं. शायद खुद को out of shape देखकर उन्हें ये याद दिलाता हो कि weight कम करना उनके लिए बेहद ज़रूरी है.
Water-rich food खाएं: Pennsylvania State University की एक research में पाया गया है कि water-rich food , जैसे कि टमाटर,लौकी, खीरा, आदि खाने से आपका overall calorie consumption कम होता है.इसलिए इनका अधिक से अधिक प्रयोग करें.
Low-fat milk का प्रयोग करें: चाय , कॉफ़ी बनाने में, या सिर्फ दूध पीने के लिए भी skim milk use करें, जिसमे calcium ज्यादा होता है और calories कम.
90% खाना घर पर ही खाएं: अधिक से अधिक घर पर ही खाना खाएं, और यदि आप बाहर भी घर का बना खाना ले जा सकते हों तो ले जायें. बाहर के खाने में ज्यादातर high-fat और high-calorie होती हैं.इनसे बचें.
धीरे-धीरे खाएं: धीरे खाने से आपका ब्रेन पेट भर जाने का सिग्नल पहले ही दे देगा और आप कम खायेंगे.
तभी खायें जब सचमुच भूख लगी हो: कई बार हम बस यूँहीं खाने लगते हैं. कई लोग आदत, boredom, या nervousness की वज़ह से भी खाने लगते हैं. अगली बार तभी खाएं जब आपको वाकई में भूख सहन ना हो. यदि आप कोई specific चीज खाने के लिए खोज रहे हैं तो ये भूख नही बस स्वाद बदलने की बात है, जब सच में भूख लगेगी तो आपको जो कुछ भी खाने को मिलेगा आप खाना पसंद करेंगे.
जूस पीने की बजाये फल खाएं: जूस पीने की बजाये फल खाएं, उससे आपको वही लाभ होंगे, और जूस की अपेक्षा फल आपकी भूख को भी कम करेगा, जिससे overall आप कम खायेंगे.
ज्यादा से ज्यादा चलें: आप जितना ज्यादा चलेंगे आपकी calories उतना ही अधिक burn होंगी. लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करना, आस-पास पैदल जाना आपके लिए मददगार साबित होगा. घर में भी आप दिन भर में एक-दो बार अपनी छत का चक्कर लगाने की कोशिश करें. छोटे-छोटे efforts बड़ा result देंगे.
हफ्ते में एक दिन कोई भारी काम करें: हर हफ्ते कोई एक भारी काम या activity करें. जैसे की आप अपनी bike या car धोने का सोच सकते हैं, बच्चों के साथ कहीं घूमने जाने का plan कर सकते हैं, या अपने spouse की हेल्प करने के लिए घर की सफाई कर सकते हैं.
ज्यादातर कैलोरीज़ दोपहर से पहले कंस्यूम कर लें: Studies से पता चला है कि जितना अधिक आप दिन के वक़्त खा लेंगे रात में आप उतना ही कम खायेंगे.और दिन में जो calories आपने consume की है उसके रात तक burn हो जाने के chances अधिक हैं .
डांस करें: जब कभी आपको वक़्त मिले तो बढ़िया music लगा कर dance करें. ऐसा करने से आपका मनोरंजन भी होगा और अच्छी-खासी calories भी burn हो जाएँगी. यदि आप इसको routine में ला पाएं तो बात ही क्या है.
नींबू और शहद का प्रयोग करें : रोज सुबह हल्के गुनगुने पानी के साथ नीबू और शहद का सेवन करें.ऐसा करने से आपका वज़न कम होगा. उम्मीद है यह आपके लिए भी कारगर होगा.
 
दोपहर में खाने से पहले 3 ग्लास पानी पीयें : ऐसा करने से आपको भूख कुछ कम लगेगी, और यदि आप अपना वज़न कम करना चाहते हैं तो भूख से थोडा कम खाना आपके लिए लाभदायक रहेगा.
 

तांबे के बर्तन में पानी पीने के लाभ

तांबे के बर्तन में पानी पीने के लाभ
Aayurved Benefits of Drinking Hot Water from Copper Vessel

आर्युवेद में कहा गया है कि तांबे के बर्तन में पानी पीने से शरीर को कई लाभ मिलते है, इस पानी से शरीर के विषैले तत्‍व बाहर निकल जाते है जिन्‍हे आमतौर पर वात, कफ और पित्‍त के नाम से जाना जाता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने से शरीर के इन तीनों दोषों को संतुलित करने की क्षमता होती है।

तांबे के बर्तन में संग्रहित पानी को ताम्र जल के नाम से जाना जाता है। तांबे के लोटे, जग या ग्‍लास में कम से कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए जल के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ निम्‍म प्रकार हैं :

  1. बैक्‍टीरिया समाप्‍त कर सकता है : कॉपर को प्रकृति में ऑलीगोडायनेमिक के रूप में ( बैक्‍टीरिया पर धातुओं की स्‍टरलाइज प्रभाव ) जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से बैक्‍टीरिया को आसानी से नष्‍ट किया जा सकता है। इसमें रखे पानी को पीने से डायरिया, दस्‍त और पीलिया जैसे रोगों के कीटाणु भी मर जाते है। लेकिन पानी साफ और स्‍वच्‍छ होना चाहिये।
  2. थॉयरायड ग्रंथि की कार्यप्रणाली को निय‍ंत्रित करता है : एक्‍सपर्ट मानते है कि कॉपर की धातु के स्‍पर्श वाला पानी शरीर में थॉयरायड ग्रंथि को नॉर्मल कर देता है और उसकी कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से रोग नियंत्रित हो जाता है, बस जल स्‍वच्‍छ होना चाहिये। थॉयरायड रोग के बारे में अन्‍य जानकारी भी बोल्‍डस्‍काई पर पढ़ सकते हैं।
  3. गठिया और जोड़ों की सूजन को दूर करें : जोड़ों में दर्द और गठिया की शिकायत होने पर तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीने से लाभ मिलता है। तांबे के रखे बर्तन में ऐसे गुण आ जाते है जिससे बॉडी में यूरिक एसिड कम हो जाता है और गठिया की समस्‍या भी दूर हो जाती है।
  4. त्‍वचा को स्‍वस्‍थ बनाएं : तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल त्‍वचा को चमकदार बनाता है। त्‍वचा को शाइनी बनाने के लिए सुबह-सुबह उठकर तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पिएं और स्‍वस्‍थ रहें।
  5. बढ़ती उम्र को धीमा कर दें : उम्र बढ़ने से सभी परेशान रहते है, हर कोई चाहता है कि उसकी बढ़ती उम्र की निशानियां छुपी रहें, अगर आप भी ऐसा ही चाहते है तो तांबे में जल को रखकर पिएं। तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से झुर्रिया, त्‍वचा का ढीलापन आदि दूर हो जाता है। इस प्रकार के जल को पीने से मृत त्‍वचा निकल जाती है और नई त्‍वचा आ जाती है।
  6. पाचन क्रिया दुरूस्‍त करें : एसिडिटी या गैस या पेट की कोई अन्‍य साधारण समस्‍या होने पर तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीने से आराम मिलता है। आर्युवेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्‍त पदार्थो को बाहर निकालना चाहते है तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे रखा हुआ जल पिएं, इससे राहत मिलेगी और समस्‍याएं भी दूर होगी।
  7. वजन घटाने में सहायक : अगर कोई भी व्‍यक्ति, वजन घटाना चाहता है तो उसे तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना चाहिये, इस पानी को पीने से बॉडी को एक्‍ट्रा फैट कम हो जाता है और शरीर में कोई कमी या कमजोरी भी नहीं आती है। शरीर में तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पहुंचने से आराम मिलता है।
  8. खून की कमी को दूर करें : कॉपर के बारे में यह तथ्‍य सबसे ज्‍यादा आश्‍चर्य प्रदान करने वाला है कि यह शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्‍यक होता है। यह शरीर के लिए आवश्‍यक पोषक तत्‍वों को अवशोषित करने का काम करता है। तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर होता है।
  9. दिल को स्‍वस्‍थ बनाएं और हाइपरटेंशन दूर करें : यदि कोई व्‍यक्ति दिल के रोग से ग्रसित है या उसे हार्ट की किसी भी प्रकार की समस्‍या है तो वह तांबे के जग में रात को पानी रख दें और उसे सुबह उठकर पी लें। इससे उसे काफी स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मिलेगा। तांबे के बर्तन में रखे हुए जल को पीने से पूरे शरीर में रक्‍त का संचार बेहतरीन रहता है। दिल की बीमारियों में और बातें बोल्‍डस्‍काई पर जानें।
  10. कैंसर से लड़ने में सहायक : कैंसर होने पर हमेशा तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीना चाहिये, इससे लाभ मिलता है क्‍योंकि तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल वात, पित्‍त और कफ की शिकायत को दूर करता है। इस प्रकार के जल में एंटीऑक्‍सीडेंट भी होता है जो इस रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, कॉपर कई तरीके से कैंसर मरीज की हेल्‍प करती है, यह धातु लाभकारी होती है जिसमें रखा हुआ पानी सबसे ज्‍यादा लाभ प्रदान करता है। यह एंटीकैंसर इफेक्‍ट प्रदान करता है।

महानिशा दीपमालिका

दीपावली का पर्व प्राचीन काल से हमारे देश में मनाया जाता है और दीपावली का मतलब लक्ष्मी का दिन, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये पूजा पाठ, उपाय, तंत्र मंत्र, धन प्राप्ति के लिये मां लक्ष्मी की स्तुति इत्यादि अनेकों कार्यों को करने का दिन। 

लक्ष्मी की उत्पत्ति के संबंध में वेदों, उपनिषदों, पुराणों और संहिताओं में उल्लेख है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र से हुई। देवों और दानवों ने मिलकर जब सागर मंथन किया तो उसमें से चैदह रत्न प्राप्त हुए और लक्ष्मीजी उनमें से एक हैं। दीपावली और मनोकामनाओं का आपस में गहरा रिश्ता है। तंत्र शास्त्र में दीपावली को सभी प्रकार की साधनाओं के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है।

तभी तो इसे महानिशा कहा गया है। ऐसी निशा जो वर्षभर में सबसे महान है। दीपावली की रात मां लक्ष्मी के पूजन के साथ-साथ लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके, उपाय करने से कभी भी धन की कमी नहीं होती और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। दीपावली पर किए जाने वाले कुछ विशेष टोटके/उपाय करके मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

1. दीपावली के दिन प्रातः काल मां लक्ष्मी के मंदिर जाकर लक्ष्मीजी को पोशाक चढ़ाएं। खूशबूदार गुलाब की अगरबत्ती जलाएं, धन प्राप्ति का मार्ग खुलेगा।
2. दीपावली के दिन प्रातः गन्ना लाकर रात्रि में लक्ष्मी पूजन के साथ गन्ने की भी पूजा करने से आपकी धन संपत्ति में वृद्धि होगी।
3. दीपावली की रात पूजन के पश्चात नौ गोमती चक्र तिजोरी में स्थापित करने से वर्षभर समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
4. अगर घर में धन नहीं रूकता तो नरक चतुर्दशी के दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली लाल कपड़े में बांधकर पूजें और फिर उसे अपनी तिजोरी या पैसे की जगह में रखें। धन घर में रूकेगा और बरकत भी होगी।
5. दीपावली से आरंभ करते हुए प्रत्येक अमावस्या की शाम को किसी अपंग भिखारी या विकलांग व्यक्ति को भोजन कराएं तो सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
6. काफी प्रयास करने के बाद भी नौकरी न मिल रही हो तो दीपावली की शाम लक्ष्मी पूजन के पश्चात या पूजन के समय थोड़ी सी चने की दाल लक्ष्मी जी पर छिड़क कर बाद में इकट्ठी करके पीपल के पेड़ पर समर्पित कर दें, नौकरी शीघ्र ही लग जाएगी।
7. दुकानदार, व्यवसायी दीपावली की रात्रि को साबुत फिटकरी लेकर उसे दुकान में चारों तरफ घुमाएं और किसी चैराहे पर जाकर उसे उत्तर दिशा की तरफ फेंक दें। ऐसा करने से ज्यादा ग्राहक आएंगे और धन लाभ में वृद्धि होगी। 
8. दीपावली पर पूजन के समय मां लक्ष्मी को कमलगट्टे की माला पहनाएं और अगले दिन सवेरे लाल कपड़े में वह माला बांधकर घर में पैसे रखने वाली जगह पर रखें। रखते समय 3 बार ऊँ महालक्ष्म्यै नमः बोलें।
9. दीपावली की रात पांच साबुत सुपारी, काली हल्दी व पांच कौड़ी लेकर गंगाजल से धोकर लाल कपड़े में बांधकर दीपावली पूजन के समय चांदी की कटोरी या थाली में रखकर पूजा करें। अगले दिन सवेरे सारा सामान धन रखने वाली जगह में रखें।

हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। दीपावली के दिन गरीबों की कपड़ों, धन व मिठाई देकर सहायता करें। आप पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे

ग्रहों की दिशा और दशा

​ग्रहों की दशा और दिशा यूं बदल कर सच करें अपने जीवन का हर सपना
सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं। सुखों का भोग तथा दुखों का निदान मानव जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। फलित ज्योतिष सुख-दुख का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर मनुष्य का मार्गदर्शन करता है।

 

जीवन का संपूर्ण सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय आदि विषय ग्रहों पर आधारित हैं। ये ग्रह 27 नक्षत्र एवं 12 राशियों पर भ्रमण करते हैं। परिणामस्वरूप ऋतुएं, वर्ष, मास तथा दिन-रात होते हैं।

 

अनिष्ट ग्रह जब मानव को पीड़ा देते हैं तब वह उनके शमन हेतु उपाय खोजता है। जातक चन्द्रिका, भावप्रकाश, धर्मसिन्धु, प्रश्रमार्ग नारदसंहिता, नारदपुराण एवं ज्योतिष ग्रंथ लाल किताब आदि ने अनिष्ट ग्रह पीड़ा निदान के अनेक उपाय बताए हैं। इसमें हम ग्रहों द्वारा उत्पन्न कष्ट दूर करने हेतु दान एवं औषधि स्नान विधि दे रहे हैं।

 

(1) रवि- पौराणिक आख्यानों में रवि को कश्यप मुनि तथा अदिति का पुत्र कहा जाता है। इसी कारण रवि का प्रसिद्ध नाम आदित्य है। वेदांत दर्शन में रवि को जगत जीवात्मा कहा जाता है।

 

रवि के बुरे प्रभाव से प्रभावहीनता तथा नेतृत्व गुणों का अभाव होने लगता है। रवि को प्रसन्न रखने के लिए गेहूं, गुड़, तांबा, सोना, लाल वस्त्र, गाय एवं माणिक्य दान करना चाहिए।  ‘लाल किताब’ के अनुसार धर्मस्थान में बादाम दान देने व तांबे को पानी में बहाने से रवि की कृपा प्राप्त होती है। पितृ पूजा तथा श्राद्ध से भी रवि प्रसन्न होते हैं।

 

जातक चंद्रिका तथा भाव प्रकाश ग्रंथों में ग्रहों की कृपा प्राप्ति के लिए विशिष्ट औषधि स्नानों का भी विवरण प्राप्त होता है। कनेर, नागरमोथा, देवदारू, केसर, मेनसिल, इलायची तथा महुआ के फूल पानी में डालकर स्नान करने से रवि की शुभता प्राप्त होती है।

 

(2) चंद्रमा- फलित ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारकत्व प्राप्त है। शिव की आराधना चंद्रमा को प्रिय है। सरस्वती उपासना भी फल देती है।

 

गाय का दूध, दही, घी, गोबर तथा गौमूत्र इन पंचगव्य को सीप, शंख तथा स्फटिक से स्पर्श कराकर पानी में मिलाकर स्नान करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं। मोती, चावल, घी से भरा कलश, कपूर, बैल, दही, शंख तथा मोती चंद्रमा के दान हैं।

 

लाल किताब वर्षा जल, चावल तथा चांदी को सदा पास रखकर चंद्र कृपा प्राप्त करने की सलाह देती है।

 

(3) मंगल- विवाह में मंगल दोष से सभी परिचित हैं। मंगल विवाह में विलंब भी उत्पन्न करता है। अष्टम मंगल ज्यादा कष्टकारी है। इस दोष को दूर करने के लिए- 

 

(1) पंचमुखी दीपक जलाकर पंचोपचार (गंध, पुष्प, धूप, दीप तथा नैवेद्य) से मंगल ग्रह की पूजा कर मंगल चंद्रिका स्त्रोत का 108 दिन तक पाठ करना चाहिए। प्रतिदिन 7 या 21 पाठ किए जा सकते हैं। (2) मां गौरी का पूजन तथा पार्वती मंगल का पाठ मंगल को प्रिय है। (3) भगवान हनुमान की आराधना मंगल की कृपा दिलवाती है। (4) सावित्री व्रत, मंगलागौरी व्रत तथा कुंभ विवाह मंगल दोष समाप्त करते हैं।

मंगल की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगल यंत्र का स्वयं निर्माण कर पूजन कर स्थापित करना चाहिए।

 

लाल चंदन, लाल पुष्प, बिल्वपत्र, जटामासी, मौलश्री, हींग, मालकांगनी चूर्ण से स्नान करना शुभ है। काले कुत्ते को घी, गुड़, रोटी खिलाना तथा योग्य व्यक्ति को मूंगा, गेहूं, मसूर, लाल बैल, गुड़, सोना, तांबा तथा लाल व दान करना चाहिए।

लाल किताब मीठा भोजन, मिठाई, बताशे दान को श्रेष्ठ उपाय बताती है।

 

(4) बुध- लाल किताब के अनुसार तांबे का टुकड़ा सुराख करके पानी में बहाना बुध के लिए उत्तम है। भारतीय शास्त्रों के अनुसार पन्ना, चावल, गौरोचन, शहद, सोना, जायफल, पीपरमूल से मिश्रित जल से स्नान करने से बुध उत्तम फल देते हैं।

नीला वस्त्र, हरा फूल, सोना, पन्ना, मूंग, घी, कांसे के बर्तन, बुध के प्रसिद्ध दान हैं। बुध की कृपा के लिए भगवान गणेश व विष्णु की आराधना तथा उन्हें बुधवार को 108 दूर्वा चढ़ाना चाहिए।

 

(5) बृहस्पति- पौराणिक आख्यानों में बृहस्पति को अत्यंत शुभ तथा प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। इन्हें ‘देव गुरु’ की उपाधि प्राप्त है। सरसों, गूलर, मुलहठी, शहद, चमेली के चूर्ण से स्नान करना बृहस्पति के लिए उत्तम है।

 

पुखराज, हल्दी, पीले व पीली दालें, नमक, पीला पुष्प, खांडसारी शक्कर, गुड़ दान करने से बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। लाल किताब अष्ट गंध का दान तथा तिलक लगाने को बृहस्पति का उत्तम उपाय बताती है। ब्रह्मा की आराधना शुभ है।

 

(6) शुक्र- पाश्चात्य ज्योतिष विद्वान शुक्र को कला, प्रेम तथा आकर्षण का प्रतिनिधि ग्रह मानते हैं। यह काम का प्रतीक तथा दैत्य गुरु की उपाधि भारतीय फलित ज्योतिष में पाता है।

 

जायफल, केसर, इलायची, मूली के बीज, हरड़ तथा बहेड़ा का चूर्ण पानी में मिलाकर स्नान करने से शुक्र की कृपा प्राप्त होती है।

 

हीरा, चांदी, चावल, दही, घी, मिश्री, सफेद पुष्प व कपड़े, सफेद चंदन, घोड़ा शुक्र के दान हैं। लाल किताब के अनुसार जप, गाय, कन्या तथा तेल दान शुक्र के लिए शुभ हैं। संतोषी माता का व्रत तथा भगवती दुर्गा की आराधना शुक्र को प्रिय है।

 

(7) शनि- शिव एवं भैरव की उपासना शनि की कृपा के लिए अत्यंत आवश्यक है। शनि की पीड़ा शांति के लिए तेल में अपनी छाया देखकर उसे पात्र सहित दान देने की सलाह लाल किताब देती है।

 

नीलम, काले तिल, वस्त्र, काले पशु, कम्बल, लोहा, उड़द, तेल शनि के दान हैं। सौंफ, लोभान, खस, काला तिल, गोंद, शतकुसुम के चूर्ण से स्नान उत्तम होता है। 

साढ़ेसाती तथा ढैय्या की उग्रता, शनि का मारक होना तथा अतिकष्ट देने की स्थिति में महामृत्युंजय का जाप राहत देता है। 

 

(8 एवं 9) राहु व केतु- इन छायाग्रहों के दान, स्नान, देवता तथा उपासना शनि की तरह ही हैं। दान एवं स्नान में गोमेद, लहसुनिया, हाथी दांत तथा कस्तूरी को भी सम्मिलित करना चाहिए।

 

लाल किताब में कच्चे कोयले को पानी में बहाना, मसूर दान, जौ सिरहाने रखना, कुत्तों को रोटी खिलाना तथा तेल दान राहु-केतु के उपाय बताए गए हैं। आचार्य सुश्रुत ग्रहपीड़ा तथा रोग से मुक्ति के लिए प्रायश्चित करने को महत्व देते हैं। 

 

फलित ज्योतिष में एक से अधिक ग्रहों की पीड़ा शांत करने के लिए लाजवंती, कूट, वरियार, मालकांगनी, मोथा, सरसों, हल्दी, देवदारू, शरकोंका तथा लौंध के चूर्ण से स्नान करने का निर्देश है।

सप्तशती साधना

​श्री दुर्गा सप्तशति बीजमंत्रात्मक साधना..
ॐ श्री गणेशाय नमः [११ बार]
ॐ ह्रों जुं सः सिद्ध गुरूवे नमः [११ बार]
ॐ दुर्गे दुर्गे रक्ष्णी ठः ठः स्वाहः [१३ बार]
[सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम..]

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामण्डायै विच्चे | ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः

ज्वालय ज्वालय ज्वल  ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ||
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दीनि | नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दीनि ||

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भसुरघातिनि | जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ||

ऐंकारी सृष्टीरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका | क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ||

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी | विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ||

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी | क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुंभ कुरू ||

हुं हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी | भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रै भवान्यै ते नमो नमः ||

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं | धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ||

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा | सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ||
|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
प्रथमचरित्र…

ॐ अस्य श्री प्रथमचरित्रस्य ब्रह्मा रूषिः महाकाली देवता गायत्री छन्दः नन्दा शक्तिः रक्तदन्तिका बीजम् अग्निस्तत्त्वम् रूग्वेद स्वरूपम् श्रीमहाकाली प्रीत्यर्थे प्रथमचरित्र जपे विनियोगः|
(१) श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं प्रीं ह्रां ह्रीं सौं प्रें म्रें ल्ह्रीं म्लीं स्त्रीं क्रां स्ल्हीं क्रीं चां भें क्रीं वैं ह्रौं युं जुं हं शं रौं यं विं वैं चें ह्रीं क्रं सं कं श्रीं त्रों स्त्रां ज्यैं रौं द्रां द्रों ह्रां द्रूं शां म्रीं श्रौं जूं ल्ह्रूं श्रूं प्रीं रं वं व्रीं ब्लूं स्त्रौं ब्लां लूं सां रौं हसौं क्रूं शौं श्रौं वं त्रूं क्रौं क्लूं क्लीं श्रीं व्लूं ठां ठ्रीं स्त्रां स्लूं क्रैं च्रां फ्रां जीं लूं स्लूं नों स्त्रीं प्रूं स्त्रूं ज्रां वौं ओं श्रौं रीं रूं क्लीं दुं ह्रीं गूं लां ह्रां गं ऐं श्रौं जूं डें श्रौं छ्रां क्लीं

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
मध्यमचरित्र..

ॐ अस्य श्री मध्यमचरित्रस्य विष्णुर्रूषिः महालक्ष्मीर्देवता उष्णिक छन्दः शाकम्भरी शक्तिः दुर्गा बीजम् वायुस्तत्त्वम् यजुर्वेदः स्वरूपम् श्रीमहालक्ष्मी प्रीत्यर्थे मध्यमचरित्र जपे विनियोगः
(२) श्रौं श्रीं ह्सूं हौं ह्रीं अं क्लीं चां मुं डां यैं विं च्चें ईं सौं व्रां त्रौं लूं वं ह्रां क्रीं सौं यं ऐं मूं सः हं सं सों शं हं ह्रौं म्लीं यूं त्रूं स्त्रीं आं प्रें शं ह्रां स्मूं ऊं गूं व्र्यूं ह्रूं भैं ह्रां क्रूं मूं ल्ह्रीं श्रां द्रूं द्व्रूं ह्सौं क्रां स्हौं म्लूं श्रीं गैं क्रूं त्रीं क्ष्फीं क्सीं फ्रों ह्रीं शां क्ष्म्रीं रों डुं

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(३) श्रौं क्लीं सां त्रों प्रूं ग्लौं क्रौं व्रीं स्लीं ह्रीं हौं श्रां ग्रीं क्रूं क्रीं यां द्लूं द्रूं क्षं ह्रीं क्रौं क्ष्म्ल्रीं वां श्रूं ग्लूं ल्रीं प्रें हूं ह्रौं दें नूं आं फ्रां प्रीं दं फ्रीं ह्रीं गूं श्रौं सां श्रीं जुं हं सं

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(४) श्रौं सौं दीं प्रें यां रूं भं सूं श्रां औं लूं डूं जूं धूं त्रें ल्हीं श्रीं ईं ह्रां ल्ह्रूं क्लूं क्रां लूं फ्रें क्रीं म्लूं घ्रें श्रौं ह्रौं व्रीं ह्रीं त्रौं हलौं गीं यूं ल्हीं ल्हूं श्रौं ओं अं म्हौं प्री

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
उत्तमचरित्र..

ॐ अस्य श्री उत्तरचरित्रस्य रुद्र रूषिः महासरस्वती देवता अनुष्टुप् छन्दः भीमा शक्तिः भ्रामरी बीजम सूर्यस्तत्त्वम सामवेदः स्वरूपम श्री महासरस्वती प्रीत्यर्थे उत्तरचरित्र जपे विनियोगः
(५) श्रौं प्रीं ओं ह्रीं ल्रीं त्रों क्रीं ह्लौं ह्रीं श्रीं हूं क्लीं रौं स्त्रीं म्लीं प्लूं ह्सौं स्त्रीं ग्लूं व्रीं सौः लूं ल्लूं द्रां क्सां क्ष्म्रीं ग्लौं स्कं त्रूं स्क्लूं क्रौं च्छ्रीं म्लूं क्लूं शां ल्हीं स्त्रूं ल्लीं लीं सं लूं हस्त्रूं श्रूं जूं हस्ल्रीं स्कीं क्लां श्रूं हं ह्लीं क्स्त्रूं द्रौं क्लूं गां सं ल्स्त्रां फ्रीं स्लां ल्लूं फ्रें ओं स्म्लीं ह्रां ऊं ल्हूं हूं नं स्त्रां वं मं म्क्लीं शां लं भैं ल्लूं हौं ईं चें क्ल्रीं ल्ह्रीं क्ष्म्ल्रीं पूं श्रौं ह्रौं भ्रूं क्स्त्रीं आं क्रूं त्रूं डूं जां ल्ह्रूं फ्रौं क्रौं किं ग्लूं छ्रंक्लीं रं क्सैं स्हुं श्रौं श्रीं ओं लूं ल्हूं ल्लूं स्क्रीं स्स्त्रौं स्भ्रूं क्ष्मक्लीं व्रीं सीं भूं लां श्रौं स्हैं ह्रीं श्रीं फ्रें रूं च्छ्रूं ल्हूं कं द्रें श्रीं सां ह्रौं ऐं स्कीं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(६) श्रौं ओं त्रूं ह्रौं क्रौं श्रौं त्रीं क्लीं प्रीं ह्रीं ह्रौं श्रौं अरैं अरौं श्रीं क्रां हूं छ्रां क्ष्मक्ल्रीं ल्लुं सौः ह्लौं क्रूं सौं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(७) श्रौं कुं ल्हीं ह्रं मूं त्रौं ह्रौं ओं ह्सूं क्लूं क्रें नें लूं ह्स्लीं प्लूं शां स्लूं प्लीं प्रें अं औं म्ल्रीं श्रां सौं श्रौं प्रीं हस्व्रीं

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(८) श्रौं म्हल्रीं प्रूं एं क्रों ईं एं ल्रीं फ्रौं म्लूं नों हूं फ्रौं ग्लौं स्मौं सौं स्हों श्रीं ख्सें क्ष्म्लीं ल्सीं ह्रौं वीं लूं व्लीं त्स्त्रों ब्रूं श्क्लीं श्रूं ह्रीं शीं क्लीं फ्रूं क्लौं ह्रूं क्लूं तीं म्लूं हं स्लूं औं ल्हौं श्ल्रीं यां थ्लीं ल्हीं ग्लौं ह्रौं प्रां क्रीं क्लीं न्स्लुं हीं ह्लौं ह्रैं भ्रं सौं श्रीं प्सूं द्रौं स्स्त्रां ह्स्लीं स्ल्ल्रीं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(९) रौं क्लीं म्लौं श्रौं ग्लीं ह्रौं ह्सौं ईं ब्रूं श्रां लूं आं श्रीं क्रौं प्रूं क्लीं भ्रूं ह्रौं क्रीं म्लीं ग्लौं ह्सूं प्लीं ह्रौं ह्स्त्रां स्हौं ल्लूं क्स्लीं श्रीं स्तूं च्रें वीं क्ष्लूं श्लूं क्रूं क्रां स्क्ष्लीं भ्रूं ह्रौं क्रां फ्रूं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(१०) श्रौं ह्रीं ब्लूं ह्रीं म्लूं ह्रं ह्रीं ग्लीं श्रौं धूं हुं द्रौं श्रीं त्रों व्रूं फ्रें ह्रां जुं सौः स्लौं प्रें हस्वां प्रीं फ्रां क्रीं श्रीं क्रां सः क्लीं व्रें इं ज्स्हल्रीं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(११) श्रौं क्रूं श्रीं ल्लीं प्रें सौः स्हौं श्रूं क्लीं स्क्लीं प्रीं ग्लौं ह्स्ह्रीं स्तौं लीं म्लीं स्तूं ज्स्ह्रीं फ्रूं क्रूं ह्रौं ल्लूं क्ष्म्रीं श्रूं ईं जुं त्रैं द्रूं ह्रौं क्लीं सूं हौं श्व्रं ब्रूं स्फ्रूं ह्रीं लं ह्सौं सें ह्रीं ल्हीं विं प्लीं क्ष्म्क्लीं त्स्त्रां प्रं म्लीं स्त्रूं क्ष्मां स्तूं स्ह्रीं थ्प्रीं क्रौं श्रां म्लीं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(१२) ह्रीं ओं श्रीं ईं क्लीं क्रूं श्रूं प्रां स्क्रूं दिं फ्रें हं सः चें सूं प्रीं ब्लूं आं औं ह्रीं क्रीं द्रां श्रीं स्लीं क्लीं स्लूं ह्रीं व्लीं ओं त्त्रों श्रौं ऐं प्रें द्रूं क्लूं औं सूं चें ह्रूं प्लीं क्षीं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
(१३) श्रौं व्रीं ओं औं ह्रां श्रीं श्रां ओं प्लीं सौं ह्रीं क्रीं ल्लूं ह्रीं क्लीं प्लीं श्रीं ल्लीं श्रूं ह्रूं ह्रीं त्रूं ऊं सूं प्रीं श्रीं ह्लौं आं ओं ह्रीं 

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु||
दुर्गा दुर्गर्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी |

दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ||

दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा |

दुर्गमग्यानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ||

दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी |

दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ||

दुर्गमग्यानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी |

दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ||

दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी |

दुर्गमाँगी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ||

दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी ||

[३ बार]

|ॐ नमश्चण्डिकायैः|ॐ दुर्गार्पणमस्तु||
जय माँ 

Vedic Mantra For All Type Of Diseases.

​Vedic mantra for all type of diseases
Cure life long diseases with Vedic mantra-Use Mantra for protection of oneself
In this modern world,where every one is running for achieving something with some ambition,gets down if they get engulf with some diseases.So,they run to doctor and get the medicine for that disease without knowing that doctor is also running with them.
In ancient time,people just chanted the Vedic Mantras and to get cured.Vedic mantras are the mantras in name of god which have the power to cure any type of incurable disease.There are various type of mantras for disease of any kind.
I won’t recommend to stop the medication and keep chanting the mantra. Keep going all that is on for the disease or sickness but you can add the mantra to that. Mantra will generate certain vibration that will help he patient recover from that sickness. 
Disease…………………………..Hindu Mantra
1) Aids :-                                                        Om Ramaya Namaha
2) Cancer :-                                                    Om Krishnaya Namaha
a) Tongue Cancer :-                                       Om Krishna-Viththalaya Namaha
b) Lung Cancer :-                                            Om Narayani-Krishnaya Namaha
c) Throat Cancer :-                                         Om Mahesh-Krishnaya Namaha
d) Chest Cancer :-                                           Om Shankara-Krishnaya Namaha
e) Liver Cancer :-                                            Om Narayani-Krishnaya Namaha
f)  Blood Cancer :-                                           Om Shrikant-Krishnaya Namaha
g) Breast Cancer :-                                          Om Narayani-Krishnaya Namaha
h) Bone Cancer :-                                            Om Krishna-Krishnaya Namaha
i)  Prostate Cancer :-                                     Om Shriram-Narayan-Krishnaya Namaha
3) Blood and Heart related
a) Blood Pressure :-                                       Om Bhavani-Pandurangaya Namaha
b) Rheumatic Heart Disease :-                  Om Jay-Pandurang-Rakhumaiya Namaha
c) Heart Murmur :-                                        Om Durga-Ganapatiya Namaha
d) Congestive Cardiac Failure :-               Om Hare-Viththala-Pandurangaya Namaha
e) Ischaemic Heart Disease :-                    Om Hare-Krishna-Viththalya Namaha
f) Myocardial Infarction                      Om Jay-Govinda-Viththalaya Namaha
4) Digestive System Related
a) Jaundice :-                                                      Om Ram-Krishnaya Namaha
b) Ulcer Shankar Francis :-                           Om Rahamanya Namaha
c) Appendicitis :-                                              Om Pandurang-Hariaya Namaha
d) Diabetes :-                                                      Om Jay-Shriramya Namaha
5) Mental & Lung Diseases
a) Hysteria :-                                                       Om Ganeshya Namaha
b) Schizophrenia  :-                                          Om Narayana-Ram-Krishna-Hariaya Namaha
c) Paranoid Schizophrenia :-                        Om Naryana-Viththal-Ram-Krishna-Hariaya Namaha
d) Bronchitis  :-                                                  Om Gauri-Shankaraya Namaha
6) Nervous System Related
a) Brain Tumour :-                                             Om Shri-Viththalya Namaha
b) Migraine  :-                                                      Om Jay-Krishnaya Namaha
c) Epilepsy :-                                                        Om Jayram-Ganapatiya Namaha
d) Paralysis :-                                                       Om Jayram-Jay-Jayramya Namaha
e) Polio :-                                                               Om Ram-Krishnaya Namaha
f) Ana- Plastic-Astrocytoma                 Om Hare- Pandurang-Uma-Hariaya Namaha
g) Coma                                                          Om Ram-Ramaya Namaha
7) Diseases of Infective Origin
a) Tuber-Culosis  :-                                            Om Narayan-Viththalya Namaha
b) Typhoid  :-                                                       Om Ham-Hare-Ramaya Namaha
c) Meningitis :-                                                    Om Jayaram-Ganeshaya Namaha
d) Gangrene :-                                                      Om Gangaramaya Namaha
e) Rabies :-                                                            Om Jay-Jayramaya Namaha
8) Miscellaneous
a) Hydrophobia :-                                              Om Hare-Jayram-Hara-Ramaya Namaha
b) Leucoderma :-                                               Om Hare-Rama-Krishnaya Namaha
c) Parkinson :-                                                     Om Acyut-Krishnaya Namaha
d) Arthritis :-                                                       Om Jayram-Jay-Jayramya Namaha
e) Leprosy :-                                                        Om Jayram-Shankaraya Namaha
f) Cervical-Spondylitis :-                                Om Shriram-Jayram-Pandurangaya Namaha
g) Lumbar Spondylitis :-                                Om Shriram-Jayram-Viththalaya Namaha

 

1) Mantra for specific disease control
Om Aadesh Guru Ko Kali Kambali Vale Shyam, Kahaye Hain Unko Ghanshyam

Rog Nashe Shok Nashe Nahin To Krishna Ki Aan Radha Meera Manaave, (Name

the Patient) Ka rog dosh Jave

The name of the patient of whose disease is to be controlled should be

chanted at the right place while murmuring this mantra. The remembrance

of Lord Krishna and Shiva be kept in mind.
2) Mantra for protection of pregnancy
Om Rudra Bhi Drava Ho, Ha Ha Ha Hoo Ka

The pregnant woman should chant this mantra for 108 times a day.
3) Riddance from Evil Spirits
Ayeim Kreem Kreem Khrim Khrim Khichi Khichi Bhootnaathaay Pishaachaay

Khrim Khrim Phat.
4) Mantra for protection against eye sore
Om Namo Ramji Dhani Lakshman Ke Baan

Aankh Dard Kare To Lakshman Kuwar Ki Aan

Meri Bhakti. Guru Ki Shakti.

Phuro Mantra Eswaro Vacha.

Satya Naam Aadesh Guru Ko

This mantra can lead to siddhi if chanted for 10,000 times.
5) Mantra for protecting oneself
Om Shoolena Pahino Devi Pahi Khadgen Chambike, Ghanta Swanena Nah Pahi

Chapajjanih Swanen Ch.

This mantra is attributed to Goddess Durga. It helps to get rid of

enemies, fears and troubles. The use of rudraksha mala (A beaded garland

of the seeds of Eleocarpus Ganitrus Tree) while chanting is favourable
6) Mantra for pregnancy
Om Hreem Uljalya Thah Thah Om Hreem

The regular and continuous chant of this mantra for 108 times with

lighting of lamps of Mustard Oil or butter oil helps in getting pregnancy.
7) Mantra for peace of ancestors
Om Yaam Medham Devganah Pitarasch Upasate, Taya Mamadya Medhayagne

Medhavinam Kuru

The regular chant of this mantra with red sandal beaded garland and

pouring water helps to bring peace to ancestors.
8) Mantra for Longevity and getting rid of Ailments
Om Trayambakam Yajamahe Sugandhim Pusti Vardhanam, Urvarukamiva

Bandhanan Mrityormurksheeya Mamritat.

This is called “Mrityunjaya Mantra”. The mantra is attributed to Lord

Shiva. The mantra is very effective when diseases/ailment is

continuously jeopardizing life or there is continuous fear of life. Even

otherwise, the chant of this mantra is very beneficial. The regular and

continuous chant of this mantra for 1.25 lakh times, following the

procedure will produce early result
8) Mantra for increasing profits in business
Om Kansonsmitam Hiranya Prakaram Aardraam Jwalantim Triptam Tarpyenteem,

Padhesthitam Padhmavarnaam Tami Hope Vhayeshriyam

This mantra is attributed to Goddess Lakshmi. The regular and continuous chant of this mantra helps to increase profits in business. The use of a beaded garland of Tulsi (Basil Plant) is recommended for better and early results
9) Mantra for getting rid of Incurable Diseases
Om Hon Joon Sah Om Bhoorbhuva Swah Om Trayambakam Yajamahe Sugandhim

Pustivardhanam Urvarukamiva Bandhanan Mrityormurksheeya Mamritat.

Om Swah Bhuvah Bhu Om Swah Joon Hon Om

This is called “Maha Mritunjaya Mantra”. It is attributed to Lord Shiva.  Its helps in saving life in case of attack from diseases, accidents etc.
10) Mantra for cure of fear
Om Aghorebhyo Thaghorebhyo Ghor Ghor Tarebhyah Sarvebhyah Sarva

Sarvebhyo Namaste Astu Rudra Rupebhyah

For controlling of fear of death etc., meditate on Lord Shiva and perform a mala of chant everyday with burning of Dhoop.
11) Mantra for controlling piles
Om Kaka Karta Krori Karta Om Karta Se Hoye

Ye Rasna Desh Hus Pragate Khooni Badi Bavasir Na Hoye. Mantra Janke Na

Bataye to Dwadash Brahma Hatya Ka pap Hoy Lakh Jap Kare To Vansh Mein Na

Hoye Shabda Sancha, Hanuman Ka Mantra Sancha, Phure Mantra Eswaro Vacha

After easing the motion, chant this mantra while cleaning the refuse of anus. After that eat two guavas.
12) Mantra for controlling jaundice
Om Shriram Sar Sadha, Lakshman Sadha Baan, Neela, Peela, Rita, Neela

Thotha Peela Peela Sarvavidha Rahe to Ramchandraji Ka Rahe Naam Meri

Bhakti Guru Ki Shakti Phure Mantra Eswaro Vacha

Murmuring this mantra and touching the body of a jaundice patient can help overpower the disease. For Siddhi, 10,000 Mantra chant is needed.
13) Mantra for controlling fever
Om Namo Bhagvate Rudray Shoolpanaye Pishachadhipataye Aavashye Krishna

Pingal Phate Swaha

Make the patient drink water after speaking the mantra three times carrying a pot of water in hand
14) Mantra for controlling big diseases (Epidemics)

Om Ithyam Yadaa Yadaa Badhaa Danvttha Bhavishyeti

The chant of this mantra for 10,000 times helps to avert big diseases.
15) Mantra for control of epilepsy
Om Haal Hal Mandiye Pudiye Shri Ramji

Phunke, Mrigi Vayu Sukhe, Sukh Hoi, Om Thah Thah Swaha

Make holy black thread for the patient or sprinkle water on the patient after the chant of the mantra. Siddhi is achieved with chant of the mantra for 10,000 times.

Spiritual healing chants for mental illnesses
1) Restlessness, fear or pressure
Om Gan Ganapataye Namahaa – Sree Durgaadevyai Namahaa
2) Anxiety
Om Gan Ganapataye Namahaa – Sree Gurudev Datta
3) Depression
Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Sree Gurudev Datta
4) Insomnia
Sree Durgaadevyai Namahaa – Sree Gurudev Datta
5) Nightmares

Sree Gurudev Datta – Om Gan Ganapataye Namahaa
6) Thoughts about self-harm
Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Sree Hanumate Namahaa
7) Thoughts about harming others
Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Sree Durgaadevyai Namahaa
8) Thoughts about harming Saints
Om Namah Shivaaya – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Sree Durgaadevyai Namahaa – Sreeraama Jai Raama Jai Jai Raama
9) Sexual thoughts

Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
10) Seeing sexually titillating scenes
Om Namah Shivaaya – Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
11) Addictions
Om Namah Shivaaya – Sree Gurudev Datta – Om Gan Ganapataye Namahaa

Spiritual healing chants for physical illnesses
1) Frequent common cold
Sree Durgaadevyai Namahaa
2) Mouth ulcers
Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Om Namah Shivaaya
3) Fatigue
Om Gan Ganapataye Namahaa – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
4) Toothache
Om Gan Ganapataye Namahaa
5) Headache
Sree Durgaadevyai Namahaa
6) Pain in lower abdomen
Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
7) Pain in various organs
Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
8) Arthritis
Om Gan Ganapataye Namahaa – Om Namah Shivaaya – Sree Durgaadevyai Namahaa
9) Cramps
Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya – Om Gan Ganapataye Namahaa
10) Lumps in muscles
Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
11) Bending of bones
Sree Raama Jai Raama Jai Jai Raama – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
12) Giddiness

Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Sree Gurudev Datta
13) Excessive Sleep
Sree Gurudev Datta – Om Gan Ganapataye Namahaa
14) Sleepiness
Om Gan Ganapataye Namahaa – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
15) Inability to speak

Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya
16) Paralysis of a part of body
Om Namah Shivaaya – Om Gan Ganapataye Namahaa
17) Unconsciousness
Om Gan Ganapataye Namahaa – Om Namah Shivaaya
18) Asthma
Om Namah Shivaaya
19) Increase in hunger
Sree Gurudev Datta
20) Lack of Hunger
Om Gan Ganapataye Namahaa
21) Nausea before meals
Om Namah Shivaaya – Sree Gurudeva Datta
22) Belching
Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Sree Durgaadevyai Namahaa
23) Acidity
Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya – Om Gan Ganapataye Namahaa
24)Reduction in haemoglobin level in blood
Om Namah Shivaaya – Om Gan Ganapataye Namahaa
25) Experience of sexual assault
Om Namah Shivaaya – Sree Durgaadevyai Namahaa
26) Itching
Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya – Om Namo Bhagavate Vaasudevaaya
27) Itching in loins
Sree Durgaadevyai Namahaa – Om Namah Shivaaya

 

Permanently curing various type of life time diseases
Recite these mantra in total 40 days,dividing each jaapa of mantra by 40 to get the jaap of single day.
1) Maha Mrutyuanjaya mantra against Accidental / Untimely death.
*OM JUUM SAA [name of sick person] PALAY PALAY SAA JUUM OM *

1,25,000 jaap Homa with gudduchi and panchamrut.
2) For old diseases – Drug addicts, Chronic diseases, Diabetes etc…
*OM NAMO NEEL KANTHAYE NAMAH : ||*

1,25,000 jaap as above.
3) For Heart attack, High blood pressure etc….
*OM GHRUNI SURYA ADITYA SHRIM ||*

7000 jaap.
4) For Mental tension, Depression, withdrawal, Timidity, Failure etc..
*OM SAUM SOMAY NAMAH : ||*

11000 jaap.
5) To get a Son, Impotency, difficulty to Control / Satisfy opposite Sex partner.
*OM SHRIM HRIM KLIM NAMO BHOMAY NAMAH : ||*

17000 jaap.
6) For Asthma and all type of Breathing problem, Cough etc…
*OM VASTRAM ME DEHI SUKRAY SWAHA ||*

21000 jaap.
7) For all round perfect health do Pranayam daily for 15 minutes, reciting
*HUM PHAT SWAHA ||*

Inhale 16 times

Retain 64 times

Exhale 32 times

धन तेरस महात्म्य

​धन तेरस महात्म्य 

 कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मृत्यु के देवतायमराज व भगवान विष्णु के अंशावतार धन्वन्तरि का पूजन किए जाने का विधान है।

 धनतेरस पर भगवान यमराज के निमित्त व्रत भी रखा जाता है।पूजन विधि-यमदीपदान, प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लें और उसेस्वच्छ जल से धो लें ।

 तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें ।

 अब उसे तिलके तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किएगए दीपक का रोली ,अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें ।

 उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए निम्मलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए चार मुँह के दीपक को गेहूँ आदि की ढेरी के ऊपर रख दें ।

 “मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।

 ”धन तेरस पर यमदीपदान का महत्व :-धर्मशास्त्रों में भी उल्लेखित है-

 “कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।

मदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।”

 अर्थात-कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यमराज के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्युका भय समाप्त होता है।

 ऐसा स्वयं यमराज ने कहा था.इस दिन भगवान धन्वंतरि का षोडशउपचार पूजा विधिवत करने का भी विशेष महत्व है जिससे परिवार में सभी स्वस्थ रहते हैं तथा किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती।यमराज प्रत्येक प्राणी के शुभाशुभ कर्मों के अनुसार गति देने का कार्य करते हैं ।

 इसी कारण उन्हें ‘धर्मराज ’ कहा गया है. इस सम्बन्ध में वे त्रुटि रहित व्यवस्था की स्थापना करते हैं ।उनका पृथक् से एक लोक है ,जिसे उनके नाम से ही ‘यमलोक’ कहा जाता है ।

 इनके लोक में निरन्तर अनश्वर अर्थात् जिसका नाश न हो ऐसी ज्योति जगमगाती रहती है । यह लोक स्वयं अनश्वर है और इसमें कोई मरता नहीं हैं ।

 धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों ?

 अकसर मन में ये प्रश्न उठता है की धनत्रयोदशी पर ही यह दीपदान क्यों किया जाता है ? इस सम्बन्धमें एक पौराणिक कथा शास्त्रों में आती है.कथा -एक बार यमदूत बालकों एवं युवाओं के प्राण हरते समय परेशान हो उठे ।

 उन्हें बड़ा दुःख हुआ कि वे बालकों एवं युवाओं के प्राण हरने का कार्य करते हैं , परन्तु करते भी क्या ? उनका कार्य ही प्राण हरना ही है ।

 अपने कर्तव्य से वे कैसे च्युत होते ? एक और कर्तव्यनिष्ठा का प्रश्न था, दुसरी ओर जिन बालक एवं युवाओं का प्राण हरकर लाते थे , उनके परिजनों के दुःख एवं विलाप को देखकर स्वयं को होने वाले मानसिक क्लेश का प्रश्न था ।

 ऐसी स्थिति में जब वे बहुत दिन तक रहने लगे , तो विवश होकर वे अपने स्वामी यमराज के पास पहुँचे.और कहा- कि ‘‘महाराज ! आपके आदेश के अनुसार हम प्रतिदिन वृद्ध , बालक एवं युवा व्यक्तियों के प्राण हरकर लाते हैं , परन्तु जो अपमृत्यु के शिकार होते हैं , उन बालक एवं युवाओं के प्राण हरते समय हमें मानसिक क्लेश होता है ।

 उसका कारण यह है कि उनके परिजन अत्याधिक विलाप करते हैं और जिससे हमें बहुत अधिक दुःख होता है ।

 क्या बालक एवं युवाओं को असामयिक मृत्यु से छुटकारा नहीं मिल सकता है ?’’ऐसा सुनकर धर्मराज बोले ‘‘दूतगण तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है । इससे पृथ्वीवासियों का कल्याण होगा ।

 कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रतिवर्ष प्रदोषकाल में जो अपने घर के दरवाजे पर निम्नलिखित मन्त्र से उत्तम दीप देता है , वह अपमृत्यु होने पर भी यहॉं ले आने के योग्य नहीं है।

 “मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।”

अक्षय धन प्राप्ति

​अक्षय-धन-प्राप्ति मन्त्र
प्रार्थना : 
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी.

पूरण करो अब माता कामना हमारी.

धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री.

सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार.

शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार.

तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान.

आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान.
मन्त्र : 
ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै. ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा.
विधि : 
दीपावली की सन्ध्या को पाँच मिट्टी के दीपकों में गाय का घी डालकर रुई की बत्ती जलाए.

लक्ष्मी जी को दीप-दान करें और मां कामाक्षा का ध्यान कर उक्त प्रार्थना करे. मन्त्र का 108 बार जप करे. ‘दीपक’ सारी रात जलाए रखे और स्वयं भी जागता रहे. नींद आने लगे, तो मन्त्र का जप करे. प्रातःकाल दीपों के बुझ जाने के बाद उन्हें नए वस्त्र में बाँधकर ‘तिजोरी’ या ‘बक्से’ में रखे. 

इससे श्रीलक्ष्मीजी का उसमें वास हो जाएगा और धन-प्राप्ति होगी. प्रतिदिन सन्ध्या समय दीप जलाए और पाँच बार उक्त मन्त्र का जप करे.

भूत भगाने के उपाय

​भूत भगाने के 10 सरल उपाय

अलख निरंजन,

प्रिये दोस्तों हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेक उपाय बताए गए हैं। चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं। 

ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं।
अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है। यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय।
1. ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें। 
2. दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। यह काजल लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है।
3. घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्त मिलती है। 
4. प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है। 
5. प्रेत बाधा निवारक हनुमत मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।

इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने से भूत कभी भी निकट नहीं आ सकते।
6. सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा। 
7. गणेश भगवान को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल दान करें। यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे। 
8. मां काली के लिए उनके नाम से प्रतिदिन अच्छी तरह से पवित्र की हुई दो अगरबत्ती सुबह और दो दिन ढलने से पूर्व लगाएं और उनसे घर और शरीर की रक्षा करने की प्रार्थना करें।
9. हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं। 
10. मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। यह डर और भय को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है। 
इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं। 
सावधानी : सदा हनुमानजी का स्मरण करें। चतुर्थी, तेरस, चौदस और अमावस्या को पवि‍त्रता का पालन करें। शराब न पीएं और न ही मांस का सेवन करें।                                          भूत-प्रेत बांधने का मन्त्र

भूत-प्रेत बांधने का मन्त्र

गांवों में अक्सर सुनने को आता है कि फलां व्यक्ति को

भूत दिखाई दिया, फलां को किसी प्रेत ने पकड़ लिया। ऐसे में कुछ

समझ नही आता कि क्या किया जाये कि इस संकट से मुक्ति

मिले।

कभी कभी हम जब अकेले कहीं जाते है या आते है तो रास्ते में ऐसे

कई तांत्रिक या बाबा लोग हमसे बदला लेनेके लिए किसी न

किसी को भेज देते है ..मतलव के भूत प्रेत जिन कलुवा ,पिशाच

डायन को ..

अब ऐसी स्थिति में इन सब से निपटने के लिए ही इस प्रकार के

मन्त्र प्रयोग में लाए जाते हैं। ऐसी स्थिति आने पर निम्न मन्त्र

को सात बार पढ़कर भभूत को अभिमंत्रित कर उस भूत-प्रेत के ऊपर

फेंक दें । ऐसा करने पर उसका बंधन हो जायेगा। यदि राह चलते ऐसी

स्थिति का सामना हो तो अपने बांए पैर के नीचे की धूल या

मिट्टी चुटकी भर उठाकर मन्त्र से सात बार अभिमंत्रित कर उसके

ऊपर उछाल दें।

इस मन्त्र को आप किसी भी शुभ मुहुर्त में 108 बार जप कर सिद्ध

कर लेवें।मन्त्र जप के समय भगवान शिव-पार्वति का पूजन करना

आवश्यक है।

मन्त्र:- ऐठक बाँधौ बैठक बाँधौ आठ हाथ के भुइयाँ बाँधौ, बाँधौ

सकल शरीर, भूत आवे भूत बाँधौ प्रेत आवे प्रेत बाँधौ, मरी मसान

चटिया बाँधौ, मटिया आवे मटिया बाँधौ, बाँध देहे फाँद देहे,

लोहे की डोरी शब्द का बन्धन, काकर बाँधे गुरु के बाँधे गुरु कोन

महादेव-पार्वती के बाँधे जा रे भूत बंधाजा।।